
कोरोना महामारी के खतरे के बीच 171वें दिन सोमवार को एक बार फिर सुबह छह बजे से राजधानी लखनऊ में मेट्रो पटरी पर दौड़ने लगीं। बीते 21 मार्च को यहां मेट्रो का संचालन ठप किया गया था। पहले दिन चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया के बीच 21 स्टेशनों के बीच 16 ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है। चार ट्रेनों को रिजर्व रखा गया है। यहां सुबह यात्रियों को टोकन यूवी (अल्ट्रावॉयलेट तकनीक) से सैनिटाइज कर दिए गए। इसी के साथ लखनऊ मेट्रो देश की पहली सेवा है, जहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

हालांकि सुबह यात्रियों की संख्या बेहद सीमित रही। सुबह छह बजे चली पहली मेट्रो ट्रेन बिना यात्रियों के रवाना हुई। लेकिन समय बीतने के साथ मुसाफिरों से की आमद दिखने लगी। मुसाफिरों में ज्यादातर महिलाएं थीं। जिनका कहना था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मेट्रो ज्यादा सुरक्षित है। यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का दावा है कि पहली ट्रेन में 45 यात्रियों ने सफर किया है। जिन्हें मेट्रो में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया गया। इसके साथ सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग, आरोग्य सेतु और मास्क की जांच के बाद एंट्री हुई। दैनिक भास्कर के संवाददाता आदित्य तिवारी ने हजरतगंज से मुंशी पुलिया तक का सफर किया और सात स्टेशनों की व्यवस्थाओं का जाना हाल...

घड़ी में सुबह के 7:15 बज रहे थे। हजरतगंज मेट्रो स्टेशन पर यात्रियों के आने और जाने के लिए दो गेट ही खोले गए हैं। स्टेशन के अंदर टोकन और कार्ड के लिए ऑटो मैटिक मशीन चालू थी। उसके पास खड़ी महिला कर्मचारी यात्रियों को कैसे टोकन ले सकते हैं, उसके बारे में बता रही थी। स्टेशन पर पहुंचने पर गार्ड ने थर्मल स्क्रीनिंग कर तापमान मापा। गार्ड ने अपने पास मास्क का बंडल रखा था। पूछा गया तो कहने लगा कि यह मास्क मेट्रो कार्ड खरीदने पर फ्री है। अगर किसी यात्री के पास मास्क नहीं है तो उसे भी दिया जाएगा। एंट्री गेट पर ही बिस्कुट का पैकेट दिया गया। यहां जगह-जगह कोरोना से बचाव के लिए पेंटिंग व रंगोली बनी हुई थी। तभी चारबाग की तरफ से मेट्रो आ गई। अधिकतर डिब्बे खाली थे। दो यात्री स्टेशन पर उतर गए। करीब 25 मिनट के सफर में इक्का-दुक्का लोग ही ट्रेन पर सवार और उतर रहे थे। आखिरकार मुंशीपुलिया पर ट्रेन खाली हो गई।

पहले दिन के सफर की कहानी, मुसाफिरों की जुबानी...
- रूफही शाहिना प्राइवेट जॉब करती हैं। वे आलमबाग बस स्टैंड से बादशाह नगर तक का सफर कर रही थीं। वे मेट्रो शुरू होने से काफी खुश नजर आईं। कहने लगीं कि मैं तो मेट्रो शुरू होने से बहुत उत्साहित हूं। यहां कोरोना से बचाव के हर इंतजाम हैं। जबकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कौन संक्रमित है या नहीं, इसका पता ही नहीं चलता।
- गोरखपुर के रहने वाले उत्कर्ष त्रिपाठी लखनऊ में रहकर पढ़ाई करते हैं। उन्हें अचानक आज अपने घर जाना पड़ रहा है। इसलिए वे मुंशीपुलिया मेट्रो स्टेशन आलमबाग बस स्टैंड जाने के लिए ट्रेन में सवार हुए थे। मैंने अपना तापमान चेक करवाया। आरोग्य सेतु ऐप की डिटेल चेक हुई। मेट्रो की यात्रा सुरक्षित है।
- अर्चना और सुमन राय भी मेट्रो में सवार मिलीं। दोनों कामगार महिला हैं। अर्चना ने कहा कि मुझे अक्सर मीटिंग के सिलसिले में आलमबाग जाना होता है। अभी तक टैक्सी बुक कराकर जाती थी, जो महंगी पड़ती थी। मेरे लिए मेट्रो बेहद आसान है। वहीं, सुमन राय ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन चाहकर भी नहीं हो सकता है। मैं तो मेट्रो शुरू होने का इंतजार कर रही थी।

नियमित सैनिटाइजेश की व्यवस्था
- ट्रेन में ऐसी जगह जैसे रेलिंग, खंभे, हैंडल, दरवाजे और सीट्स जहां आमतौर पर सबका हाथ जाता है, उसे नियमित तौर सैनिटाइज किया जा रहा है।
- पेमेंट के लिए टोकन, स्मार्ट कार्ड की व्यवस्था है। लोगों को कैशलेस फैसिलिटी इस्तेमाल करने के लिए जागरुक किया जा रहा है।
- ट्रेन के भीतर सरटों के बीच गैप रखने के लिए पीले रंग का स्टीकर लगाया गया है।

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