हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष पर अवमानना का केस, अदालत की कार्यप्रणाली को लेकर की थी अपमानजनक टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य राजेश त्रिपाठी कोर्ट की अवमानना में फंस गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया में हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी है।

बुधवार को उनके खिलाफ अवमानना का केस मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की बेंच में लगा था। हालांकि न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा द्वारा खुद को सुनवाई से अलग करने के कारण मामले को नई पीठ के समक्ष नामित करने का आदेश दिया गया है। अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की आधिकारिक वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं है।

खुद राजेश त्रिपाठी भी अवमानना कार्रवाई के सही वजह से अनभिज्ञ हैं। उनका कहना है कि एक लिस्टेड मामले को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के खिलाफ महानिबंधक को शिकायत भेजी गई है। राजेश का मानना है कि संभव है कि इसे लेकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई हो।

अदालत में सुनवाई शुरू करने को लेकर बार एसोसिएशन ने लिखा हैपत्र
इलाहाबाद उच्च न्यायालय मेंएक जून से खुली अदालत में सुनवाई शुरू करने के लिए बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। पत्र में लॉकडाउन के दौरान जरूरी मुकदमों की सुनवाई और ई-फाइलिंग तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसे कई मुद्दों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। बार का मानना है कि, मौजूदा व्यवस्था कारगर नहीं है और खुली अदालत में मुकदमों की सुनवाई तथा बहस का कोई विकल्प नहीं हो सकता है।

एसोसिएशन ने मांग की है कि मौजूदा हालात को देखते हुए कम से कम कुछ मामलों में वकीलों की भौतिक उपस्थिति की अनुमति दी जाए। जबकि अन्य मामलों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुना जा सकता है। बार ने सुरक्षा के सभी उपाय अपनाते हुए खुली अदालत में सुनवाई प्रारंभ करने की मांग की है।



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इलाहाबाद उच्च न्यायालय- फाइल फोटो


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